Sunday, August 3, 2008
पप्पू कैसे नाचे......
ये नया फिल्मी गाना ठीक उसी तरह से कई लोगों के पेट में दर्द कर रहा है जैसे कि फ्रेंडशिप डे..फ्रेंडशिप डे की घूम तो जम कर मच रही है लेकिन कोई इस बात को मानने के लिये तैयार नहीं कि इस दिन को हम वैसे ही अपना चुके हैं जैसे बसन्त पंचमी या मकर संक्राति ..इस दिन का हाल भी पप्पू जैसा ही हो गया है..इस गीत को चाहने वाले तो कई हैं लेकिन अपनाने वाला कोई नहीं.अब भला पप्पू कैसे नाचेगा..ग्वालियर में फ्रेडसिप डे से ठीक एक दिन पहले पुलिस वालों ने प्रेमी जोड़ों को पार्क से खदेड़ दिया..इन चाहत और प्यार की मूर्तियों की रास लीला पुलिस को नहीं भायी....प्यार कभी रुसवा नहीं होता..ठीक वैसे ही जैसे आप अपने कदमों को थिरकने से नहीं रोक सकते जब ये गाना बज रहा हो.....फ्रेडशिप डे का मतलब सबने अपने अपने हिसाब से निकाल लिया..किसी को प्यार नज़र आया तो किसी को तकरार...देश के हर कोने से दो तरह की खबर..एक तरफ डटे हैं ये जिन्हें ये ज़िद है कि फ्रेंडशिप डे मना कर रहेंगें और दूसरी तरफ हैं वो जो सोचते हैं ये फ्रेडशिव व्रेडशिप डे ठीक नहीं है.. आजकल अगर डिस्को जाने का मौका मिले तो आपको रिक्वेस्ट नहीं करनी पड़ेगी पप्पू का नाच खुद व खुद चल जायेगा लेकिन घर में ये गाना गुगुनाना हो तो हुजूर इजाज़त नहीं है..अब फ्रेशडिप डे मान लिया तो मलाल मत पालिये नहीं मना पाये तो सोच लीजिये पप्पू भी नाचेगा
दिनेश काण्डपाल
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1 comment:
पप्पू कैसे नाचे...फ्रेंडशिप डे के मौके पर दिनेश जी का ये आलेख हमारे सामाजिक ताने-बाने पर एक करारा व्यंग्य हैं।
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