Friday, May 28, 2010

एक पल की तस्वीर बनाई है मैने

एक पल की तस्वीर बनाई है मैने
चटख रंग नहीं हैं उसमें लेकिन
कभी धुंधली नहीं पड़ती
धड़कन है धड़कती रहती है

ताजा रहती है हर वक्त
और
जब कभी आंखो के आगे आती है
तो केवल मुस्कुराहट और आह लाती है

फिर उस पल को जीने की तमन्ना
उस तस्वीर में कुरेदने लगती है
उस पल की सच्चाई को
जिसे मैने झूठ कह दिया कई बार

दिन में सपने की तरह
आंखे खोल कर रोंगेटों को सरसराती जाती है
वो तस्वीर उस पल की धड़कन
को जिंदा रखती है हर बार

वो पल इस तस्वीर में सांसे लेता है
और याद करता है
कैसे आंखों के आगे कुछ रंग
मिलजुल कर एक तस्वीर बना गये।



दिनेश काण्डपाल