एक पल की तस्वीर बनाई है मैने
चटख रंग नहीं हैं उसमें लेकिन
कभी धुंधली नहीं पड़ती
धड़कन है धड़कती रहती है
ताजा रहती है हर वक्त
और
जब कभी आंखो के आगे आती है
तो केवल मुस्कुराहट और आह लाती है
फिर उस पल को जीने की तमन्ना
उस तस्वीर में कुरेदने लगती है
उस पल की सच्चाई को
जिसे मैने झूठ कह दिया कई बार
दिन में सपने की तरह
आंखे खोल कर रोंगेटों को सरसराती जाती है
वो तस्वीर उस पल की धड़कन
को जिंदा रखती है हर बार
वो पल इस तस्वीर में सांसे लेता है
और याद करता है
कैसे आंखों के आगे कुछ रंग
मिलजुल कर एक तस्वीर बना गये।
दिनेश काण्डपाल
5 comments:
बहुत बढ़िया!
nice
@Udan Tashtari and @ Suman ji....thx
wah wah kya likha...
बहुत खूब
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