Tuesday, March 17, 2009

अजमेर की नवजात बच्ची मर गयी.......



दिनेश काण्डपाल

फीड चैक करते वक्त मेरे सहयोगी बनवारी यादव ने कहा दिनेश ये खबर बढ़िया है इसे आधे घंटे तक दिखाते हैं। दुष्यन्त ने भी कहा विजुअल अच्छे हैं चलो तैयारी करो। अतुल अग्रवाल को दिखाया तो उनके जौहर सामने आ गये। तय किया गया कि इस खबर को बढ़िया प्रोडक्शन के साथ चलाया जाय। छोटी सी बच्ची थी वो...एक या दो दिन की..उसके मां बाप ने उसे दो मंजिला बिल्डिंग से नीचे फेंक दिया था। चार घंटे तक वो ठंड में पड़ी रही, उसका शरीर पीला पड़ गया था। बच्ची इतनी सुन्दर थी कि उसको देख कर कलेजा हिचकोले मारने लगता था। जैसे तैसे उस बच्ची को अस्पताल लाया गया। डाक्टर इस बच्ची के लिये हर मुमकिन कोशिश में लग गये। पुलिस की एक कांस्टेबल हेमलता ने बच्ची को अपनी छाती से चिपका लिया, उसने तो इसे अपनी ही बच्ची मान लिया। इस खबर से पहले हमने जितनी भी खबर चलायी हमें ज़बर्दस्त प्रतिक्रिया मिली। हर खबर के वाद हम विजयी मुद्रा में स्टूडियो से बाहर निकलते थे। राजस्थान में डंका बजाने के लिये कई खबरें हम चला चुके थे। मेरी अन्तर्मन की आवाज़ इस बच्ची से जुड़ गयी मुझे इस बात में ज़रा भी शक नहीं था कि खबर चलने के बाद इस को कोई करिश्माई पालनहार मिल जायेगा। मुझे मन ही मन विश्वास हो गया कि इस बच्ची का भविष्य अब सुरक्षित है। लिखने और कार्डिनेशन का काम अतुल अग्रवाल ने सम्हाला, अतुल अग्रवाल टीवी में खबरों के प्रस्तुतिकरण के माहिर हैं उन्होंने ने ही नाम दिया ..मेरा क्या कसूर...। तारे ज़मी पर फिल्म का गीत लगाया....मेरी मां......इस गीत के ऊपर बच्ची के विजुअल कटवाये गये। बनवारी के साथ सलोनी, अनीता और नेहा विजुअल कटवाने में जुट गये। मैने जैकट बनवाया अतुल ने यहां भी वैल्यू एडिशन करवा दिया। शाम 4 बजे से खबर का पैकेज चलने लगा। जैसा कि अक्सर होता है वॉयस ऑफ इंडिया राजस्थान की खबरों का असर आने लगा। अजमेर से वीओआई के रिपोर्टर रामलाल मीणा ये खबर देखकर सुखद हैरत से भर गये। बेहतरीन प्राडक्शन उनकी उम्मीद से भी परे था। शाम को 8 बजे सिटी न्यूज़ में बड़ी कोशिशों के बाद हेमलता से बात हुयी। हेमलता ही इस बच्ची को अस्पताल में सम्हाल रही थी..वो फोनो के दौरान कई बार रो पड़ी..मुझे पैनल से वाइंड अप का निर्देश मिलने लगा लेकिन मैं फोनो खींचता रहा..मैं इतना आत्ममुग्ध हो चुका था कि मुझे लगा ये सबसे बेहतरीन फोनो जा रहा है। खैर हमने खबर आगे बढ़ाई..डाक्टर ने बाईट में एक बात बोली,,वो बात मेरे मन में शूल बनकर चुभ गयी। डाक्टर ने कहा कि उन्हैं शक है कि ऊंचाई से गिरने की वजह से बच्ची का ब्रेन हैमरेज न हो गया हो। लेकिन बच्ची के विजुअल कहीं से भी डाक्टर की बात का समर्थन नहीं कर रहे थे। बड़े सुन्दर विजुअल थे बच्ची के। छोटी से गोरी सी वो गुड़िया पूरी पूरी राजस्थान डेस्क की चहेती बन गयी। सुधांशू ने उस खबर को एडिट किया था, वो भी इमोशनल हो रहा था। एक सहयोगी एडीटर यतीश ने तो पहल करते हुये कह दिय़ा कि इसे मैं गोद लेने की व्यनस्था करवाता हूं। रात 9 बजे टाई का नॉट कस के मैं स्टूडियों में बैठा। दुष्यन्त ने पैनल सम्हाला, अतुल अग्रवाल पीसीआर में भी आ गये और स्क्रीन पर चलने वाले टिकर और टॉप बैंड लिखवाने लगे। मैं पूरे मनोभाव से खबर के प्रस्तुतिकरण में जुट गया...धीर धीरे उन लोगों के फोन आने लगे जो बच्ची को गोद लेना चाहते थे..कोटा,,उदयपुर,,अजमेर..जिस शख्स को भी हमारा नम्बर मिल सका वो फोन करने लगा। साढ़े 9 बजे के बाद तय हुआ कि पूरी रात इसी बुलेटिन को चलाया जाय, ये एक बिग हिट साबित हो रहा था। पूरी रात खबर चली। अजमेर में अस्पताल के बाहर और अन्दर बच्ची को देखने वाले और गोद लेने वालों की भीड़ लग गयी। इस शो की कामयाबी पर मैं मु्ग्ध हो गया..हम एक दूसरे को बधाई देने लगे..रात को 2 बजे तक अतुल अग्रवाल को राजस्थान के साथ साथ देश विदेश से फोन आने लगे कि हम बच्ची गोद लेना चाहते हैं..अगले दिन हमने फिर फॉलोअप चलाया आज बच्ची के और भी प्यारे विजुअल आये थे....
.....तीन दिन बाद रात 9 बजे का बुलेटिन चल रहा था। दूसरे ब्रेक से 2 मिनट पहले ब्रेकिंग चलनी शुरू हुयी ..अजमेर - नवजात बच्ची की मौत। स्टूडियो के मॉनीटर पर खबर देखकर मेरे होशोहवास उड़ गये। एक मेरे लिये बड़ी ब्रेकिंग थी...मै खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा था। मेरे विश्वास पर आरी चल गयी थी। मेरे मुहं से निकला.. ये क्या हो गया...दूसरा ब्रेक खत्म हुआ अब मुझे खबर पड़नी थी..अजमेर में नवजात बच्ची की मौत हो गयी है...ये वही बच्ची है जिसे पहले उसके मां बाप ने फेंक दिया था...रामलाल ने फोनो पर बताया कि दिनेश जी डाक्टरों ने पहले ही बताया था कि ऊंचाई से फेंकने की वजह से ब्रेन हैमरेज हुआ है ..आज इसी वजह से इस बच्ची की मौत हो गयी...मैं सन्न था..पूरा पीसीआर खामोश...केवल पुराने विजुअल चल रहे थे और में कुछ कुछ बोल रहा था...मेरा मन हुआ कि ऑन एयर गाली दे दूं ऐसे मां-बाप को जिन्होंने इस नवजात बच्ची की हत्या कर दी, लेकिन मैने ऐसा नहीं किया। मैं हेमलता के बारे में सोच कर दुखी हो रहा था ..हेमलता वही पुलिस वाली जो इसको पालते पोसते वक्त भी रो रही थी आज उसका क्या हाल हो रहा होगा। अजमेर से रामलाल मीणा बता रहे थे कि पूरे अस्पताल में मातम है..सब खामोश हो गये हैं...अगर पिन गिरे तो उसकी आवाज़ भी आ रही है...डाक्टरों की आंखे नम हैं...रामलाल की गला भी भर्राया हुआ था..किसे क्या कहूं समझ में नहीं आ रहा था...भववान इस चार दिन की बच्ची की आत्मा को शांति दे..और उन पापी मां बाप दो सज़ा दे जिसने इस बच्ची की हत्या की है

14 comments:

Unknown said...

दिनेशजी,
दरअसल मैं तीन दिनों से छूट्टी पर था ...मुझे इस फूल सी बच्ची की पूरी स्टोरी मालूम नहीं थी ....आज सुबह जब मैं रन डाउन बना रहा था ...तो देखा कि एक बच्ची की मौत पर हैडलाइन बनी है ...स्टींग बने हैं ... माजरा क्या है ... फिर कल का रन डाउन देखा तो कुछ समझ में आया ... लेकिन आपने जो लिखा है उसे तो पढ़ते पढ़ते ही दिल भारी होने लगा था....
खैर, आपने जो लिखा है और पूरी टीम ने इस पर जो मेहनत की है वो पीठ थपथपाने के लायक है ....मेरा क्या कसूर ... टेक्स्ट तो जबर्दस्त था ....
पता नहीं लोग ...क्या सोच कर और कैसे एक फूल सी नन्ही गुड़िया को एक मां की कोख से दूर कर हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कहने के लिए छोड़ देते हैं ...
अगर इस तरह की स्टोरी को इतनी ही मेहनत और तहेदिल से लेते हुए ट्रीटमेंट देते रहे तो मैं एक बात के लिए आपको इंशोर कर सकता हूं कि नवजात बच्ची को मारने और मरने के लिए छोड़ने की घटनाओं में कमी आ सकती है ....
विजुअल मीडिया में वो ताकत है जो समाज में आमूलचूल परिवर्तन कर सकता है ... और इसी कड़ी में कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में भी कमी आ सकती है ...

Manpreet said...

The story is so touchy but it just striked my mind with two things-

First how media make news of all things happening in the society for their profit.

Second is though the motive in undoubtedly to make TRP but it also helping in getting help for the needy in so easy way.Otherwise who knows that any such incident has happened or happening.

Y media splash news is totally for TRP
but then it has the virtue of arranging blessings and support
for those in trouble.

Prakash Badal said...

उफ्फ्फ..... क्या कहूँ दिनेश भाई पढ़ नहीं पा रहा। आँखें भर आईं हैं बाकि कमैंट कल करूँगा। बच्ची की तस्वीर देकर तो आपने मुझे इस हैरत में डाल दिया कि वो माँ-बाप थे या जल्लाद?

Prakash Badal said...

उफ्फ्फ..... क्या कहूँ दिनेश भाई पढ़ नहीं पा रहा। आँखें भर आईं हैं बाकि कमैंट कल करूँगा। बच्ची की तस्वीर देकर तो आपने मुझे इस हैरत में डाल दिया कि वो माँ-बाप थे या जल्लाद?

Kavita Vachaknavee said...

उफ़, मन भर आया। पता नहीं हम कब अपने समाज को बेटियों के लिए सुरक्षित बना पाएँगे, कि वे अपने जीने का न्यूनतम अधिकार तो पा सकें।

बिटिया कौन होना चाहेगा?

यह जज्बा बना रहे।

sarika chauhan said...

बहुत ही अच्छा आर्टिकल लिखा है आपने... जहां एक ओर लड़कियां अपने माता-पिता का नाम रौशन कर रहीं हैं वहीं इस दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो लड़कियों को बोझ समझते हैं और उन्हें खुद ही मार देते हैं... कैसे माता-पिता होंगे वो जिन्होंने ऐसी प्यारी बच्ची को छत से फेंका होगा... क्या उनको थोड़ी भी दया नहीं आयी... मैं भग्वान का शुक्रिया अदा करती हुं की उन्होंने मुझे ऐसे पेरेंट्स दिए जो मुझे इतना प्यार करते हैं और हर काम करने की आज़ादी देते हैं...

राजीव जैन said...

अजमेर की बच्ची का मरना वाकई बुरी खबर है। पर दुनिया में कमीने कम नहीं है आज ही 16 फरवरी को जयपुर के जेके लॉन अस्पताल में बीमारी की हालत में भतीü कराई गई एक नवजात बालिका की मौत हो गई। हालत यह कि भतीü कराने वाले शव छोड़कर चले गए। भतीü टिकट पर न बच्ची का नाम था न ही परिजनों का नाम। इसे आप क्या कहेंगे।

Unknown said...

सर ....आपने जो मुझे मेल भेजा...उसको पढने के बाद मेरे मन में एक ही ख्याल आ रहा...काश ये मेल हकीकत के बजाए...एक 'कहानी' होता...और फिर मैं इस कहानी का अंत बदलने के लिए आपको बोलता...

sanjay said...

अजमेर संजय गर्ग
मैने जब उस छोटी से मासूम बच्ची को हॉस्पिटल में जिन्दगी और मौत के बीच देखा तो मेरे मन ने उस माँ बाप को बहुत ही कोसा क्युकी बहुत ही जयादा बदनसीब होंगे वो जिन्होंने इस मासूम बच्ची को मरने के लिए फेंक दिया एसे माँ बाप को लाखो लोगो की बददुआ के अलावा कुछ नहीं मिलेगा और वो जीवन में कभी भी खुस नहीं रह पाएंगे और भगवन से मेरी ये दुआ है की एसे माँ बाप को भविष्य में कभी भी ओलाद का सुख ना दे

Sanjay Karakoti said...

There are number of incidents like this happening around us but most of the time either we ignore it or we are not able to understand what is really going on. In my opinion, a true reporter is gifted by a divine power that can measure depth of pain and put in a way that a common person with common understanding can see it from same level.

I firmly believe that you are one of the gifted reporter having divinity of thoughts

Sanjay Karakoti
Bangalore

Unknown said...

दिनेश सर मैने खुद आपके साथ काम किया है... और मैं समझ सकता हूं कि ऐसी खबरों के लिए आप किस तरह की तैयारियां करते है... मुझे उम्मीद है कि वीओआई(राजस्थान डेस्क) ने इस बच्ची के लिए अवश्य कुछ आर्थिक मदद की होगीहो... साथ ही इस तरह की बिना शांत soft stories चलाने के लिए ढेरो बधाई....

Anonymous said...

दिनेश सर मैने खुद आपके साथ काम किया है... और मैं समझ सकता हूं कि ऐसी खबरों के लिए आप किस तरह की तैयारियां करते है... मुझे उम्मीद है कि वीओआई(राजस्थान डेस्क) ने इस बच्ची के लिए अवश्य कुछ आर्थिक मदद की होगीहो... साथ ही इस तरह की बिना शांत soft stories चलाने के लिए ढेरो बधाई....

दीपिका said...

बहुत बढ़िया दिनेश सर... पहचाना आपने मैं दीपिका रावत एस वन में आपके साथ काम करने का मौका मिला था.. यूं ही लिखते रहिए...

dinesh kandpal said...

thx Dipika kahahn ho aaj kal?