Monday, March 23, 2009

गुलाल का हीरो ढीला नहीं है




दिनेश काण्डपाल

जिसने भी गुलाल फिल्म देखी है उसने राज के काम की तारीफ ज़रूर की है। राज एक ढीली ढाली पर्सनेलिटी वाले रोल में है, दिल्ली के कालेज में ऐसे लड़कों को झल्ला कहते हैं, ढीला भी बोलते हैं ऐसी ही है राज की पर्सनेलिटी इस फिल्म में। पिछले दस साल से हीरो बनने का ख्वाब पाले राज की बतौर हीरो तो ये पहली फिल्म है लेकिन राज इससे पहले ब्लैक फ्राईडे में काम कर चुके हैं। ब्लैक फ्राइडे में राज असिंस्टेंट डाइरेक्टर भी थे और एक छोटा सा रोल भी किया था। गुलाल देख कर जब थियेटर से बाहर निकला तो दो लोगों से बात करने का मन हुआ। एक तो इस फिल्म में अद्भुत संगीत देने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी पीयुष मिश्रा और दूसरा शख्स था राज। राज ने अपने अभिनय से कन्विन्स कर लिया था। गुलाल की स्क्रिप्ट भी राज ने ही लिखी है ये मुझे अगले दिन ऑफिस में पता चला जब विकिपीडिया पर गुलाल के बारे में पढ़ रहा था। पीयुष का काम तो आप सबने कई फिल्मों में देखा ही होगा, दिल से, मक़बूल और भी न जाने कितनी बेहतरी फिल्मों में पीयुष दिखे हैं, लेकिन राज को देखने का ये पहला मौका था। अब मन में सवाल हो रहा था कि राज से बात कैसे की जाय। सोचा मुम्बई ब्योरो से बात करते हैं तो वहां से नम्बर मिल सकता है, खैर शनिवार को नागौर से वॉयस ऑफ इंडिया के रिपोर्टर सबीक उस्मानी साहब ने डे प्लान में बताया कि कल राज सिंह चौधरी के परिवार वालों का इंटरव्यू करने जाना है। राज सिंह चोधरी नाम है गुलाल के हीरो का। राज राजस्थान के नागौर जिले के एक गांव नीमड़ी कलां गांव के रहने वाले हैं। तुरंत हामी हुयी. रविवार को फीड आ गयी। शानदार पैकेज बना। गुलाल तो मैने देखी ही थी, चुन चुन कर शॉट लगाये। 9 बजे के लिये खबर तैयारी हुयी। इस बीच मेरे पास अखलाक़ अहमद उस्मानी का एसएमएस आया जिसमें राज सिंह चौधरी का नम्बर लिखा हुआ था। तुरंत कॉल किया लेकिन फोन वॉयस मेल पर था। तय किया गया प्रोग्राम के दौरान फोन मिलायेगें। प्रोग्राम के दौरान फोन मिल गया अब शुरू हुयी राज से बातचीत। राज एक साफ्यवेयर इंजिनियर है और 1997 से मुम्बई में धक्के खा रहे थे। मॉडलिंग में भी हाथ आज़माया। कई साल तक भटकने के बाद मुलाकात हुयी अनुराग कश्यप से। कालेज के दिनों में ही एक स्क्रिपिट भी लिख डाली थी..राज को खुद भी नहीं पता था कि इस स्क्रिप्ट पर जो फिल्म बनेगी वही उसमें लीड रोल में भी होगा। खैर अनुराग को बड़ी मेहनत करनी पड़ी राज को हीरो बनाने के लिये, अनुराग अड़ गये कि अगर मैं इस फिल्म को बनाऊगां तो राज के ही साथ नहीं तो नहीं बनाऊंगा। खैर फिल्म बनी और ज़बरदस्त बनी। राज ने फोन पर ही बताया ये रोल तो फिल्म की डिमांड थी वैसे वो इतन ढ़ीले नहीं हैं जितने इस फिल्म में दिखे हैं। राज ने बताया कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही उनको दो फिल्में मिल गयी हैं, एक मनमोहन शेट्टी की है दूसरी फिल्म में सोहा अली खान उनकी हीरोईन होंगी। बातों ही बातों में राज ने इन्सिस्ट किया कि वो अगली फिल्म में ज़ोरदार पर्सनेलिटी में दिखने वाले हैं उनको ढीला मत समझिये।


5 comments:

नीरज गोस्वामी said...

इतने ऊंचे कलाकरों खास तौर पर के के जैसों के सामने अपने अभिनय का लोहा मनवाना आसान काम नहीं था जिसे राज ने बखूबी निभाया...कोई कह ही नहीं सकता ये लड़का किसी दूर प्रदेश के गाँव का नहीं है...वो ही अंदाज़,झिझक और साफ़ बयानी उसके किरदार में जिन्दा नज़र आयी....उम्मीद है वो अभिनय के क्षेत्र में दूर तक जायेंगे...
नीरज

mamta said...

राज की एक्टिंग उसके रोल के हिसाब से बिल्कुल परफेक्ट थी ।

annie said...

meine film dekhi to nahi hai...par ab lag raha hai dekhni hi padegi.apne itni tarif ki hai isk film ki ha ek chiz ki ab dekhna zaruri ho gaya hai.........

Unknown said...

नागौर के गुदड़ी के लाल की फिल्म तो मैने नहीं देखी ....लेकिन अनुराग कश्यप के साथ काम किया है तो निश्चित तौर पर छोरे में दम तो होगा ....ढीला तो नहीं हैं .... खैर, मेहनत के साथ किस्मत साथ दे तो रेत के धोरों में भी टेलेंट की कमी नहीं है ...
लेकिन मैं आपको बता दूं कि आपने राज को जिस तरह से प्रजेंट किया है ... इस प्रजेंटेशन की वजह से वो राजस्थान में पहचाने जाने लगा है ....वरना फिल्म में काम करने के बावजूद राज को बहुत कम लोग ही जान पाते ...

Unknown said...

maine kal gulal dekhi ,bahut achhee lagi. khas kar ke dileep (raj) ka kam, kaafi natural acting kiya hai.