मनोहर लाल खट्टर साहब आपके साहस की असली परीक्षा का वक्त आ गया है। हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं उन्हें देखकर एक तरफ आंखों से आंसू निकल रहे हैं तो दूसरी तरफ रोंगटे खड़े हो रहे हैं। खट्टर साहब क्या आप इस बात को समझ पा रहे हैं कि जाट आंदोलन के दौरान जिसने भी हिंसा की है उसे सज़ा दिलवाना आपका धर्म है? आप सत्ता में हैं, न्याय के लिये आपको सर्वोच्च स्थान मिला है, और आपको उसका पालन करना ही होगा। तीन दिन तक हरियाणा जलता रहा, आपकी पुलिस सिर पर पैर रखकर भागती रही इस बात का प्रमाणिक वीडियो है मेरे पास। एक दो जगह पुलिस वालों ने भिड़ने की कोशिशें की तो आंदोलनकारी इतनी तैयारी से थे कि पुलिसवाले टिक नहीं सके। सामान्य समझ वाला व्यक्ति भी ये समझ सकता है कि ये आंदोलन पूर्व नियोजित था जिसका एक मात्र मकसद था आपके राज्य में शासन को दो से तीन दिन तक बंधक बना लेना। मुझे इस बात का पूरा शक है कि ये आंदोलन जाटों के आरक्षण के लिये नहीं था बल्कि उसकी आड़ में एक बड़ी साज़िश की जानी थी। वीडियो साफ दिखा रहे हैं कि आंदोलन के नाम पर उपद्रवियों के जत्थे निकल रहे हैं। ट्रेक्टर, जीप, ट्रक कारें, मोटर साइकिल। हर साधन का इस्तेमाल हो रहा है। चुन चुन कर लोगों की दुकानों को आग लगाई जा रही है। रोहतक, अंबाला, झज्जर की तस्वीरें आपके दिल को चीर कर रख देंखी। अगर आपने अभी तक नहीं देखी हैं तो देख लीजिये। आपके लिये देखना ज़रूरी है क्योंकि आपको न्याय करना है। 20 साल हो गये हैं मुझे उत्तराखंड से दिल्ली आये हुए। ये संयोग है कि दिल्ली आते ही हरियाणवी मोहल्ले में रहा और एक दो जाट मेरे अच्छे दोस्त बन गये। बोली का अक्खड़पन तो खलता था लेकिन उसके बाद जाटों के हृद्य में बसा अपार स्नेह सारी शिकायतें दूर भी कर देता था। जो भी जाटों का इतिहास जानता है, या मामूली तौर पर भी उनके बारे में समझ रखता है वो ये कह सकता है कि जो कुछ भी तीन दिन तक हरियाणा में हुआ उसे कम से कम उन जाटों ने नहीं किया जो हरियाणा की पहचान रहे हैं। खट्टर साहब जब आप हरियाणा के मुख्यमंत्री बनाए गये थे तो 80 फीसदी लोग चकित थे। जिन्होंने आपको सीएम के तौर पर स्वीकार किया उन्होंने आपका जीवन देखा था, इसलिये उम्मीद बंधी थी। जिस सादगी के साथ आपने एक स्वयंसेवक बनकर संघ के उद्देश्यों के लिये जीवन समर्पित कर दिया, आज वो उद्देश्य आपको चुनौती दे रहे हैं। हैरान हूं मैं इस बात से कि आपका खूफिया तंत्र किस ढाबे की अफीम खाकर सो रहा है? आपकी पुलिस के अफसर बुक्की मारकर कहां बैठे थे जो इतने बड़े षडयंत्र का पता नहीं लगा सके? मुझे तो इस बात पर शक हो रहा है कि हरियाणा का प्रशासन आपके साथ है या उन षडयंत्रकारियों के साथ जिन्होंने हरियाणा को कलंकित करने की कोशिश की है। क्या आपको दिख नहीं रहा कि जाट आंदोलन के नाम पर जो कुछ भी हुआ वो एक गहरी साज़िश है। अब या तो साज़िश आपके राजनीतिक दुश्मनों ने की है या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि इसमें आपकी भी सहमति रही हो? अब तक जो वीडियो और तथ्य सामने आ रहे हैं उनके आधार पर मैं ये कतई मानने को तैयार नहीं हूं कि एक घटनाएं स्वत: हो गईं। ये घटनाएं हो नहीं गईं बल्कि करवाई गई हैं। अब किसने करवाई ये पता करना आपका काम है। आपकी छवि कड़क नहीं है लेकिन आप हरियाणा की ढाई करोड़ जनता के मुखिया हैं आप...अगर समर्थ नहीं है तो शासन छोड़ दीजिये। आप अपने मंत्रियों के बयानों पर काबू नहीं रख पाते, अपने प्रदेश को जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई में समर्थ नहीं दिखते तो फिर आप शासन में क्यों हैं। बताईये कि आज जब मैं ये लिख रहा हूं तो आपके अफसर 72 गिरफ्तारियों का रिकॉर्ड दे रहे हैं। जो लोग गिरफ्तार हुए हैं उनका दमखम कुछ नहीं। बड़ी मछलियां आपकी पकड़ से दूर हैं। आपके राज्य में वो कुरुक्षेत्र की धरती आती है जहां धर्म के लिये नहीं न्याय के लिये युद्ध हुआ था। इसी धरती पर एक पीढ़ी खत्म हुई थी और दूसरी परीक्षित । अपने शासन को उदाहरण बना देने का अवसर इतिहास ने आपको दिया है। उठिये चाहे कोई भीष्म खड़ा हो आपके सामने आप अर्जुन बन जाइये। न्याय दीजिये उन लोगों को जिन्होंने तीन दिन तक खाडंवप्रस्थ की अग्नि से भी भीषण ज्वालाएं झेली हैं। उठिये मनोहर लाल खट्टर साहब इंसाफ कीजिए। दिनेश काण्डपाल, वरिष्ठ टीवी पत्रकार
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