विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह के Presstitutes वाले बयान पर मचे बवाल और टीवी चैनलों की बहस में ट्विटर कहीं आगे निकल गया। ट्वीट्स की संख्या के आधार पर जनरल के समर्थक टाइम्स नाउ और अर्णब गोस्वामी पर हर तरह की फब्तियां कसने की छूट लेने लगे। कई उत्साहि ट्वीटिये तो ये दावा करने लगे कि टाइम्स नाउ के एडिटर अरण्ब गोस्वामी ये जंग हार चुके हैं इसलिये उन्हें अब माफी मांग लेगी चाहिये।
दरअसल शुरुआत टाइम्स नाउ ने जनरल वी के सिंह के उस बयान से की जिसमें उन्होंने यमन के रेस्क्यू ऑपरेशन और पाकिस्तानी हाईकमीशन में अपने दौरे की तुलना की। कई जनरल समर्थक प्रेक्षक ये मानते हैं कि वीके सिंह इस बात से आहत थे कि भारत सरकार, नेवी और एयरफोर्स के शानदार काम को मीडिया तवज्जो नहीं दे रही थी इसलिये ये एक व्यंगात्मक बयान था, लेकिन टाइम्स नाउ ने इस भावार्थ में जाने की कोई ज़रूरत न समझते हुए अपने संपादकीय विवेक का प्रयोग किया। नतीजा हम सबके सामने था। टाइम्स नाउ चैनल और उसके ट्विटर हैंडल से जनरल पर एक के बाद एक वार होने लगे। जनरल साहब पता नहीं कब के खार खाये हुए बैठे थे..सो उन्होंने देखा कि देश का माहौल उनके अनुकूल है, पीएम साहब विदेश जाने वाले हैं, उनके खिलाफ बोलने वाला भवनात्मक रूप से पिट जाएगा इसलिये उन्होंने ट्वीट दाग दिया।
जनरल साहब तो जनरल बने ही इसलिये कि सही मौके पर चोट कर सकें सो उन्होंने कर दी। अब इस बार चोट का निशाना सीधे अर्ण गोस्वामी थे। बाकयादा नाम लेकर ट्वीट किया। जो नहीं भी देखता उसे उकसा दिया। एकदम गाइडेड मिसाइल ट्वीट दागा जनरल साहब ने, सो बवाल मच गया। देखते ही देखते टीवी पर स्पेशल सीरीज के साथ साथ ट्विटर पर भी मोर्चे खुले। जनरल साहब को पता था कि किस मोर्चे पर वो मज़बूती से डटे रहे सकते हैं सो उन्होंने वही मोर्चा खोला।
टीवी पर बयान देने के लिये वो उपलब्ध नहीं थे। जिबूती और सना के बीच में कोई पत्रकार उन्हें दौड़ा नहीं सकता था इसलिये जनरल साहब ने दूर से ही खेल किया। ट्वीट दागा..यहां तो बारूद था ही फट पड़ा...। जनरल साहब का काम बन गया। अर्णब इस बार जनरल के मोर्चे पर फंसते दिखाई दिये। उन्होंने एक हैश टैग शुरु किया, #AbsusiveMinister. ये थोड़ा माइलेज लेने ही वाला था कि जनरल के समर्थन में नया हैशटैग आ गया #HatsOffGeneral..अब लड़ाई के लिये यही मोर्चा सैट हो गया। अर्णब को अपनी टीवी बिरादरी से उतना समर्थन नहीं मिला जिसकी वो उम्मीद कर रहे थे, सो जनरल साहब के समर्थकों का हमला भारी पड़ने लगा। आज दिनांक 9 अप्रेल 2105 की सुबह 11 बजे तक 1 लाख 12 हज़ार से ज्यादा लोग #HatsOffGeneral पर ट्वीट करके वी के सिंह को अपना समर्थन दे चुके थे।
ये लड़ाई चल ही रही थी कि #Presstitutes हैश टैग ने धमाल मचा दिया। इस हैश टैग पर एक नारा वीके सिंह के समर्थन में लगता तो दूसरी गाली मीडिया को पड़ रही थी। जिसके दिल में जो आया उसने वही लिखा। ट्विटर की इस जंग में मीडिया को जितनी गालियां इस बार पड़ी हैं उतनी मैने कभी नहीं देखी। जनरल ने मोर्चा खोला था..वो उसमें विजयी दिखाई देने लगे। बीजेपी पहले ही पल्ला झाड़ चुकी है, प्रधानमंत्री 9 दिन के लिये बाहर हैं वो तो फुटेज खायेंगे ही।
कुल मिलाकर टीवी न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया के बीच कड़ी प्रतिद्वन्दिता की शुरुआता का ये एक बेहतरीन नमूना था। टीवी न्यूज़ चैनल्स ने कई बार ऐजेंडा सैट करके बढ़त लेने की कोशिश की है लेकिन 24 घंटे के अंदर 2 लाख से ज्यादा लोगों का ट्विटर पर समर्थन हासिल करना जनरल वीके सिंह का कौशल ही है।
और एक बात ट्विटर पर पूरी बातचीत के दौरान बात पूरी भारतीय मीडिया की होती रही, किसी ने भी टीवी या अखबार में फर्क नहीं किया और ये भी लिखा की ये मीडिया वाले हमें अब मूर्ख नहीं बना सकते। ये विचार खतरनाक नहीं है?
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