Saturday, May 24, 2008

न्यूज़रूम से घर तक


दिनेश काण्डपाल
उसने आरुषि को कैसे मारा होगा..कोई ऐसा कर सकता है क्या...ऐसा कैसे हो सकता है यार.. लगभग दो घंटे बाद नींद से जागकर फिर मुझे जगाया लगभग दो बज रहे थे.मुझसे बोली मुझे डर लग रहा है..सरिता आज बच्चे तो अपने आंचल से चिपका कर सो रही थी..मैं उसकी करवट महसूस कर रहा था...दिन भर आरुषि मर्डर केस की गुत्थियों में उलझ कर सुझाने की मीडिया ट्रायल में मैं भी शरीक था..हर पल आती खबरों के साथ पूरा न्यूज़ रूम तनाव में था..बॉस का प्रेशर था कि एंगल निकालो..आरुषि के मर्डर पर एंगल निकालना परमवीर चक्र लेने से कम बड़ा काम नहीं था...रात के ग्यारह बजे इतना थक चुका था कि . . बच्चे का रोना मुझे खल रहा था और मैं कोई वाल जवाब करने के मूड में नहीं था..लेकिन सरिता दिन भर से मेरा इंतज़ार कर रही थी.उसे लगता था..उसके मन में उमड़ रहे सवालों के सारे जवाब मेरे पास हैं...बताओ ना .. तुमने तो सारे विजुअल देखे हैं..एक्पर्ट क्या कह रहे थे..क्राइम वालों का क्या कहना है... आरुषि मर्डर केस मेरे बैडरुम में बहने वाले हवा में घुल चुका था..सात दिन से टीवी पर आरुषि की गुत्थियां सुलझाने में लगे न्यूज़ चैनल्स ने दिलचस्पी तो ज़रूर पैदा की लेकिन ..ये केस दिलचस्पी की हदों को तोड़ कर दिल दिमाग सब जगह घुस चुका था..चौंकने की कइ वजहें थीं..एक घर में कितने नाजायज़ समबन्ध हो सकते हैं..डॉक्टर की बीबी क्या कुछ नहीं कहती होगी..आरुषि तो छोटी बच्ची थी उसके बारे में ऐसी बात क्यों हो रही है..बताओ ना..ऐसा हो सकता है क्या..मैं आखें बन्द कर रही हूं तो आरुषि का ही चेहरा घूम रहा है ..क्या हो गया यार इस दुनिया को..अच्छा हेमराज की उम्र तो चालीस से ज़्यादा थी ना..उसने मारा होगा क्या..सरिता के अन्दर का डर अब मेरे अन्दर पंहुच चुका था.. मैं घबरा रहा था कि इसे क्या हो गया..आरुषि मर्डर केस में मेरी दिलचस्पी थी लेकिन वो एंगल निकालने से ज़्यादा नहीं थी..उस रात सरिता की झंुझलाहट और बैचेनी ने मेरी परेशानी को बढ़ा दिया .. मैं सोचने लगा कि क्या कह कर इस विषय को खत्म करूं..थोड़ी बहुत कोशिश मैने की..मैने कहा कि तुम ये सब क्या सोच रही हो..छोड़ो ना..सो जाओं..अबे हमें क्या करना है यार..ये लोग ऐसे ही हैं..तुम सो जाओ..सरिता बेहद असंतुष्ट थी मेरे जवाब से .. दरअसल वो खुद अपने सवालों में ही इतनी उलझ चुकी थी कि सारे जवाब जानने के बाद भी वो मेरे मुंह से कुछ सुनना चाहती थी इस बारे में...मैं कुछ नहीं कहना चाहता था..न्यूज़ रुम की खबरों को में घर लेकर नहीं आता..लेकिन मुझे समझ में आया कि न्यूज़रुम की खबरें घर ही तो आती हैं....

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