(1)
बेटी की विदाई के समय गिदारों द्वारा गए जाने वाला कुमांऊनी संस्कार गीत -------
हरियाली खड़ो मेरे द्वार , इजा मेरी पैलागी ,इजा मेरी पैलागी |
छोडो -छोडो ईजा मेरी अंचली,छोडो -छोडो काखी मेरी अंचली ,
मेरी बबज्यु लै दियो कन्यादान , मेरा ककज्यु लै दियो सत्यबोल ,
इजा मेरी पैलागी |
इजा मेरी पैलागी |
छोडो -छोडो बोजी मेरी अंचली , छोडो -छोडो बहिना ,मेरी अंचली ,
मेरे भाई लै दियो कन्यादान , मेरे भिना लै दियो सत्यबोल,
इजा मेरी पैलागी |
इजा मेरी पैलागी |
छोडो -छोडो मामी मेरी अंचली , मेरे मामा लै दियो कन्यादान ,
इजा मेरी पैलागी ,इजा मेरी पैलागी |.......................................................
(2)
बेटी की विदाई के समय का कुमांऊनी संस्कार गीत _
काहे कि छोडूँ मैं एजनी पैजनी काहे कि लम्बी कोख ए ?
बाबु कि छोडूँ मैं एजली पैजली माई कि लम्बी कोख ए |
काहे कि छोडूँ मैं हिल मिल चादर , काहे कि रामरसोई ए ,
भाई कि छोडूँ मैं हिल मिल चादर , भाभि कि रामरसोई ए |
छोटे - छोटे भाईन पकड़ी पलकिया हमरी बहिन कांहाँ जाई ए ,
छोडो - छोडो भाई हमरी पलकिया , हम परदेसिन लोक ए |
जैसे जंगल की चिड़ियाँ बोलै , रात बसे दिन उडि चलै ,
वैसे बाबुल का घर हम धिय सोहें , रात बसे दिन उडि चलै |
बाबुल घर छाडी ससुर का देस , छाड़ो तुम्हारो देस ए ,
भाईन घर छाडी जेठ का देस , छाड़ो तुम्हारो देस ए |
माई कहे बेटी नित उठि अइयो, बाबु काहे छट मास मे,
भाई कहे बैना काज परोसन ,भाभि कहे क्या काज ए ||
( कुमांऊँ का लोक साहित्य )
No comments:
Post a Comment