Friday, December 26, 2008

गजनी तो गज़ब की है लेकिन.......

लेकिन कुछ तुक भिड़ाने के लिये फिल्म देखने जायेगें तो ज़्यादा मज़ा नहीं आयेगा। फिल्म उम्दा मनोरंजन करती है, आमिर खान के तो कहने ही क्या। आसीन ने भी कमाल की एंक्टिंग की है। मुर्गादौस का निर्देशन क़ाबिले तारीफ है। ए आर रहमान का संगीत थियेटर से बाहर निकलते ही ज़बान पर चढ़ जाता है।


फिल्म की कहानी बेहतरीन है। जिस तरह हीरो की यादाश्त 15 मिनट के बाद गायब हो जाती है ठीक उसी तरह फिल्म में कई कड़ियां पन्द्रह मिनट के बाद गायब होती नज़र आती हैं। पूरी फिल्म में तेज़ी तो है लेकिन जैसे ही गेयर चेंज होता है..सड़क भी बदल जाती है और झटका भी ज़ोर का लगता है।
आमिर खान ने तो कमाल ही कर दिया है। उनके अभिनय पर कुछ भी कहना कम होगा। बॉडी बनाने के लिये की गयी मेहनत बताती है कि आमिर अपने रोल के लिये कितने संजीदा हैं। फड़कती भुजायें, अंगारे से दहकती आंखों के साथ हुंकार आमिर के अभिनय का चरम है। दिमाग से बीमार शख्स का चेहरा कैसा होना चाहिये इस पर आमिर ने कितनी रिसर्च की है ये अभी तक सामने नहीं आया। लेकिन ये भी सच है कि आम इस फिल्म को आमिर की ही फिल्म मत समझ लीजियेगा, इस फिल्म में आमिर ने कुछ नहीं किया है, कुछ नहीं से मतलब है आमिर ने कोई दखल नहीं दिया है, फिल्म देखकर लगता है आमिर ने कहानी को पूरी तरह समझने की ज़रूरत भी नहीं समझी...फिल्म की लय ताल के महारथी आमिर इस फिल्म में केवल एंक्टिंग करते ही नज़र आयेगें। इस फिल्म में आमिर ने बिल्कुल दखल अंदाज़ी नहीं की। ये बात केवल वही समझ सकते हैं जो ये समझते हैं कि जब आमिर दखल देते हैं तो कैसा होता है। फिर भी संजय सिंघानिया कमाल का चरित्र है।

आसीन के लिये तो बस दुआयें ही निकलती है., उम्दा अभिनय किया है आसीन ने..आमिर को पूरी टक्कर दी है लड़की ने। आसीन बिल्कुल घरेलू हिन्दुस्तानी सी दिखती है लेकिन बाज़ी मार ले गयी इस फिल्म में। चटर पटर करती ये लड़की कब आपके अन्दर तक पंहुच जायेगी पता भी नहीं चलेगा, चेहरे के एक्सप्रेशन सीधे सादे लेकिन संजोये हुये हैं। डॉयलाग डिलीवरी शानदार है, इमोशनल भी कर देती है आसीन।

मुर्गादौस का निर्देशन बढि़या है। कैमरे के एंगल और बैकग्राउंड फिल्मिंग में शानदार काम हुआ है। बढिया इफ्फेक्ट देखने हों तो ये फिल्म ज़रूर देखिये। मुर्गादौस साउथ के हैं ये फिल्म देखने पर पता लग ही जाता है। ऐसा लगता है मु्र्गादौस कभी कभी नर्वस भी फील कर गये हैं। लेकिन जो भी हो बढ़िया काम हुआ है।

ए आर रहमान का म्यूज़िक उन्हीं का नेचर का है, निर्देशक भी साउथ का और संगीतकार भी साउथ का..बेहतरीन जुगलबंदी है।
अच्छी फिल्म है, मनोरंजन के लिये ज़रूर देखिये, मज़ा आयेगा। बाकी कुछ नहीं है।



दिनेश काण्डपाल

1 comment:

Aadarsh Rathore said...

मुझे लगता है कुछ जगहो पर असिन ने ओवर एक्टिंग कर दी है। लेकिन मानना पड़ेगा, सटीक विश्लेषण किया है आपने....