दिनेश काण्डपाल
लीबिया में गद्दाफी के बेटे के मारे जाने के बाद जो प्रतिक्रिया आई उससे एक आतंक फैला, ये आतंक अमेरिकी नीतियों की देन समझा जाने लगा। आतंकित अमेरिका ने इसी वक्त ओसामा बिन लादेन को मौत की नींद सुला दिया। अमेरिकी नौसेना की सील्स कमांडो जिस तरह 40 मिनट में ऑपरेशन पूरा करके निकल गये वो तत्परता बाज़ार पर आतंक फैलाने में भी दिखाई जा रही है। नाटो जिस तरह से लीबिया में कारवाई कर रहा है उसे सही ठहराने वाले लोगों की तादात कम होती जा रही है। नाटो की कारवाई पर रूस और चीन का कड़ा विरोध उन लोगों के लिए चिन्ताएं पैदा कर रहा था जिनको लीबिया और उसके आस पास अपना साम्राज्य खड़ा करना था। ये बाज़ार का साम्राज्य होने वाला था।
बाज़ार के इस टकराव को हर कोई समझ रहा है। रूस के प्रधानमंत्री ब्लादिमीर पुतिन की तल्ख टिप्पणियां ये बता रही हैं कि उनका विरोध न केवल स्पष्ट है बल्कि टकराव पैदा हो सकने की स्थिति के लिए भी वो तैयार हैं। पुतिन ने कहा कि लीबिया को उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित करना एक मध्ययुगीन फैसले जैसा है। पुतिन ने सवाल खड़े किए कि वहां बम क्यों बरसाए जा रहे हैं। ये कैसा उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र है जहां रात में नाटो के जहाज बम बरसा रहे हैं। चीन के सान्या शहर में ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में जो साझा घोषणा पत्र तैयार हुआ उसमें भी लीबिया पर नाटो के हमलों की आलोचना की गई। यूरोपीय संघ इस पर हैरान था तो संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत सूजेन राइस ने जिस तरह लीबिया में बलात्कार का मामला उठाया उस पर ज़्यादातर कूटनीतिज्ञ मान रहे थे कि ये रूस और चीन को लक्ष्य करके दिया गया बयान है।
जिस वक्त गद्दाफी ने लीबिया की कमान सम्हाली उस वक्त वहां पर 13 प्रतिशत साक्षरता थी जो अब 93 फीसदी हो गई है। लोकिन पढ़ लिख चुके लीबिया के नागरिको को नया बाज़ार गद्दाफी ने देखने नहीं दिया। गद्दाफी ही नहीं इस लिस्ट में शावेज भी हैं जो कई धनकुबेरों की नज़रों में खटक रहे हैं।
बाज़ार के पुजारी हर परिभाषा में मसीहा और आतंकी में कोई फर्क नहीं करते। किसी का मसीहा उनके लिए किसी भी पल आतंकी हो सकता है, और उनकी दुकान का शटर उठाने वाला राजा बनने का नाटक कर लेता है। पोस्ट लादेन बाज़ार के ये समीकरण भी बदलने जा रहे हैं।